Sunday, 13 March 2016

ज़िंदगी

नया सोचो, नया करो 
पल मिला है बेहद किमती, 
गुज़र गया उसे छोडो आगे बढ़ाना ही ज़िंदगी 

मुश्किल है, मुमकिन है राहे  
ठाने जो मन में करनी,
कर के छोड़े कर्म ही है ज़िंदगी 

आसान नहीं हे ये  रस्ते 
हज़ारो है खड्डे - ठोकरे, 
गिर के उठने का नाम हैं ज़िंदगी 

पल में गम, पल में ख़ुशी 
कुदरत की ये रीत है गहरी 
हर हाल में खुश रहना है ज़िंदगी 

जीते जी जिए या मरते ही जिए-मरे 
समजे तो उल्जन जो है सुलजी   
सवाल ही जवाब, जवाब सवाल है ज़िंदगी  

प्रीत है, रीत है, 
लगती, सख्ती ही है रूहानी 
खुद पे, खुदा पे भरोसा ही ज़िंदगी 

दौर है, दरिया है 
भरती - ओट तो हैं आनी 
बुलंद अनुभव से ज़िंदादिली का सफर है ज़िंदगी   

शाम है, सवेरा है   
खूबसूरती ही है खूबी 
रंगो का नजरिया बदल देता है ज़िंदगी 

दिल है, दिमाग है  
इंसान की अपार है शक्ति 
जाग्रति जागए तो है ही कमाल ज़िंदगी

पहेलु है, पहेलिया है 
समय ही औषधि 
गम को मज़े में पलट देना ही है ज़िंदगी

कुछ ये, कुछ वो
थोड़ा, ज़्यादा, उल्टा, पुल्टा, बहुत ही 
हमारा तुम्हारा अलग समान उलजी सुलजी, कोशिश ऐ ज़िंदगी।। 

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