ज़्यादा ज़रा, ज़रा ज़्यादा !
आँखों का बोलना सुन ज़रा
लब्ज़ों का चलना देख ज़रा
सांसो को महसूस कर ज़रा
आहाट की पुकार सुन ज़रा
रूह को छू ज़रा
दिल की गहराई में दुब ज़रा
लम्हो को संजोड़ ज़रा
नज़रो को परख ज़रा
रूहानियत पहचान ज़रा
मासूमियत जी ज़रा
रेशम सी नाज़कात हे ज़रा
बाते बनती यु ही ज़रा ज़रा
ज़िंदादिली में जी ज़रा
पल पल ख़ुशी से भर ज़रा
ऐसे जैसे जैसे चल ज़रा
राह का लुत्फ़ उठा। ....
रूह को छू ज़रा
दिल की गहराई में दुब ज़रा
लम्हो को संजोड़ ज़रा
नज़रो को परख ज़रा
रूहानियत पहचान ज़रा
मासूमियत जी ज़रा
रेशम सी नाज़कात हे ज़रा
बाते बनती यु ही ज़रा ज़रा
ज़िंदादिली में जी ज़रा
पल पल ख़ुशी से भर ज़रा
ऐसे जैसे जैसे चल ज़रा
राह का लुत्फ़ उठा। ....
Aahat Ki Pukaar !! kyaa Khoob !!!
ReplyDelete-Kushal
shukriya :)
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