हमने भी किसी को रुलाया होगा
कभी किसी का..
नहीं बाहोतो का दिल दुखाया होगा!
अपनो और अनजानो को हिस्सा बनाया होगा,
सफेद सच कहे तो जाने मे
नहीं तो अनजाने मे ही सही,
कभी किसी को बुरा कहा होगा,
भला... छोड़े भलाई का तो ज़माना ही नहीं है
ऐसे मान के दिल को बेहलाया होगा,
भला तो बहोत कम ही किसी को कहा होगा!
कितनो को सताया होगा,
हराया होगा,
सचे को जूठा जताया होगा
अपने जुठ मे सचे को भागीदार बनवाया होगा
पूरे आतमविश्वास से,
आखों मे आखें डाल के
कलाकारी दिखाके,
पापो से नहाया होगा,
ठगा होगा, हगा होगा,
कितना सरल कर दिया है हमने
इन कठोर कामो को
और सीधे सरल को कठोर
अपनी सरलता, बेहकावे, अहम के,
मरहम के लिए
कितनो को फसाया होगा
जीत के जश्न मनाया होगा
उसूलो बेचा होगा
ऊपर उठने के लिए या ऊपर दिखाने के लिए
खाई मे गिराया होगा
ऊपर फिर हाथ की जगेह हाथोडा दिया होगा,
लटकाया होगा, अटकाया होगा,
बस यूही विक्रूत आनंद लिया होगा,
सोच के भी आत्मा काँप जाए
ये सब भी किया होगा,
किसी को बेचा होगा
गिरवी रखने पे मजबूर किया होगा
कभी लगता है मानवी तो छोड़े
पिसाच से भी ऊपरी रहे होंगे,
क्यू?
किस लिए?
क्या मिला ?
दो पल की हँसी, या बेचैनी
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