Tuesday, 14 February 2023

कैसे पैसे

मुझे पैसो डर लगता है ,

कहीँ हवा मे उड़ने लगूँ,

धरती से,

और फिर बिखरने लगूँ 

अंदर से,

मुझे इतने पैसो से भीति है, 

कहीँ संभल न पाएं 

गिरने लगे,

उठाने के लिए तो होंगे,

पर जगाने के लिए ?

मुझे ऐसे धन से दहशत है,

चकाचोंध में खोने लगे

चारो और से 

फिर भी सब अच्छा लगे

 जुठ सच लगे,

और अँधेरा रोशन लगे 

मुझे पैसो ...

जो लक्ष्मी नहीं है 

वो सही नहीं है,

जो किसी की नहीं है, 

जो सही समय पर काम की नहीं, 

मुझे उस दौलत से डर है 

लत लगा दे 

अपना आप गवा दे 

रिश्ते बिखरा दे 

मति बिगाड़ दे 

कलेश बिठा दे,

गति रुका दे,

देर से  ... ही 

शर्म से ज़ुका दे 

मुझे ऐसे रूपों से खौफ है 

अहंकार से अँधकार तक 

दशा दिखाए 

मद से भटकाए, 

अपने असल से मिलवाये 

मुझे ऐसे पैसों से, उतने पैसो से डर है. .. ..... 

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