Saturday, 25 March 2023

बेचैनी

 हमने भी किसी को रुलाया होगा

कभी किसी का.. 

नहीं बाहोतो का दिल दुखाया होगा! 

अपनो और अनजानो को हिस्सा बनाया होगा, 

सफेद सच कहे तो जाने मे 

नहीं तो अनजाने मे ही सही, 

कभी किसी को बुरा कहा होगा, 

भला... छोड़े भलाई का तो ज़माना ही नहीं है 

ऐसे मान के दिल को बेहलाया होगा, 

भला तो बहोत कम ही किसी को कहा होगा! 

कितनो को सताया होगा, 

हराया होगा, 

सचे को जूठा जताया होगा 

अपने जुठ मे सचे को भागीदार बनवाया होगा 

पूरे आतमविश्वास से, 

आखों मे आखें डाल के 

कलाकारी दिखाके, 

पापो से नहाया होगा, 

ठगा होगा, हगा होगा, 

कितना सरल कर दिया है हमने 

इन कठोर कामो को 

और सीधे सरल को कठोर 

अपनी सरलता, बेहकावे, अहम के, 

मरहम के लिए

कितनो को फसाया होगा 

जीत के जश्न मनाया होगा 

उसूलो बेचा होगा 

ऊपर उठने के लिए या ऊपर दिखाने के लिए 

खाई मे गिराया होगा 

ऊपर फिर हाथ की जगेह हाथोडा दिया होगा,

लटकाया होगा, अटकाया होगा, 

बस यूही विक्रूत आनंद लिया होगा, 

सोच के भी आत्मा काँप जाए 

ये सब भी किया होगा, 

किसी को बेचा होगा 

गिरवी रखने पे मजबूर किया होगा 

कभी लगता है मानवी तो छोड़े 

पिसाच से भी ऊपरी रहे होंगे, 

क्यू? 

किस लिए? 

क्या मिला ?

दो पल की हँसी, या बेचैनी 

Tuesday, 21 March 2023

कली


 कली खिली है

कही आस जगी है, 

फाग आयी है,

रंग लायी है,

कली खिली है, 

बहार आयी है.. 

Tuesday, 14 February 2023

कैसे पैसे

मुझे पैसो डर लगता है ,

कहीँ हवा मे उड़ने लगूँ,

धरती से,

और फिर बिखरने लगूँ 

अंदर से,

मुझे इतने पैसो से भीति है, 

कहीँ संभल न पाएं 

गिरने लगे,

उठाने के लिए तो होंगे,

पर जगाने के लिए ?

मुझे ऐसे धन से दहशत है,

चकाचोंध में खोने लगे

चारो और से 

फिर भी सब अच्छा लगे

 जुठ सच लगे,

और अँधेरा रोशन लगे 

मुझे पैसो ...

जो लक्ष्मी नहीं है 

वो सही नहीं है,

जो किसी की नहीं है, 

जो सही समय पर काम की नहीं, 

मुझे उस दौलत से डर है 

लत लगा दे 

अपना आप गवा दे 

रिश्ते बिखरा दे 

मति बिगाड़ दे 

कलेश बिठा दे,

गति रुका दे,

देर से  ... ही 

शर्म से ज़ुका दे 

मुझे ऐसे रूपों से खौफ है 

अहंकार से अँधकार तक 

दशा दिखाए 

मद से भटकाए, 

अपने असल से मिलवाये 

मुझे ऐसे पैसों से, उतने पैसो से डर है. .. ..... 

Sunday, 29 January 2023

तिरस्कार - धृणा

तिरस्कार लगे फटकार 

मानवी मानवी पर बरसाए बार बार 

लगातार अनरधार अपरंपार 

सोचते रह जाते है किस घोड़ी पे है सवार,

कर देते है ये वार 

लिए - पहनाये काटों का हार 

शायद बहार आ रहा है,

अंदर का बवाल 

दिल में कहीं रहा गया होगा सवाल,

जिसका ढूँढ रहे है वो जवाब!

लेकिन 

तरीका है बेकार,

मौका तो दे उनको भी मेरे यार,

क्यों ना करे थोड़ा सा,

सिर्फ १०० ग्राम सा... 

सोच विचार!

नज़रये की है बात,

रख ले थोड़ा सा ऐतबार,

कदाचित नज़रिए पे आ जाये प्यार 

तिरस्कार है वार

सुःख, शांति, खुशियों पे मार,

ना करे ख़ुद पे अत्याचार,

छोड़े थोड़ा सा अवकाश

नज़रिए की है बात 

रखें दिल साफ़ 

तिरस्कार है अत्याचार!

વસંત ના વધામણાં

बसंत के फूलों सा आपका जीवन महेकता, चहकता रहे ऐसी शुभकामनाएँ 



Flowers are Jasmine and Bougainville 


#Bougainville #jasmine #Basant

Thursday, 26 January 2023

महिलाएं और हम

 सारी महिला जो अपनो के लिए

अपना आप खो देती है,

या कोई ना कोई तरीके से खो जाता है,

जानते हुए अनजान बन जाती है

जानके भी अनदेखा कर देती है, 

और जूट जाती है अपने असपास,

और

जुड़े हुए सारे लोगो का, 

अपना आप रचने मे,

उनको रचीयिता बनाने मे, सवारने मे..

कभी ना थमने वाला,

थकने वाला मार्ग है ये,

पता नहीं कैसे मुस्कान लिए दोडती रहती है, 

हमे तो सोचते भी थकन सी महसूस होती है

और वो थकना भी भूल जाती है,

और एक.. 

हम और हमारी अपेक्षाएं थमने का नाम ही नहीं लेती...

ताजुब है,

सोचा है, या कभी पूछा है? 

उनको

उनको भी तो हमसे कुछ चाहिए होगा! 

उनको भी तो कुछ आश होगी! 

छुट्टी ही चाहिए होगी,

या आपने आप के लिए समय चाहिए होगा,

क्या.. 

उनको भी खेलना होगा, दोडना होगा..

बहोत कुछ करना होगा या..

सिर्फ दो पल ठहरना ही होगा

या हो सकता है, 

चैन की साँस ही लेनी होगी?

कभी पूछा है हमने?

छोड़ो कभी पूछने का सोचा है हमने?

क्यु ना हम वो आज करे,..!!

साथ बैठे, पास बैठे,

और

पूछ ले क्या चाहिए आपको?

क्या करना है आपको?

किससे आपको खुशी मिलेगी?

क्यु ना कुछ ऐसी तूफानी करे.. 

और हम उनकी उम्मीद बने जिनसे हमे दुनिया भर की उम्मीद है,

करे कुछ उनके लिए,

उनकी खूबसूरत मुस्कान के लिए..

वैसे 

ऐसे नसीब कहां हमारे?

बहोत सोचा, पढ़ा, चले उठे.. 

अभी भी देर तो नहीं हुई!

उनकी सुन लेते है, 

उनको थोड़ी सी मदद कर देते है,

कुछ ऐसा भी कर लेते है, 

उनकी थमी हुई पहचान लौटाते है...

क्या कहते हो?

सलाम उन सभी महिलाओं को, (दादी, नानी, माँ, पत्नी, दोस्त, चाची, मासी, बुआ, ग्रहीनी, बहन, और बेनाम स्त्रियों को जो दूसरो की पहचान बनाने मे खुद को पहचान ना भूल गए हैं, कहीं खोये, सहमे, दबे हुए हैं!! 💫🙏🎉✨🕊️😇

धन्‍यवाद

#Krupatmak